Rahim Das Ke Dohe With Meaning in Hindi –1– बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय. Others should feel happy listening to you and you yourself should also feel happy and content. सब को साधने से सभी के जाने की आशंका रहती है – वैसे ही जैसे किसी पौधे के जड़ मात्र को सींचने से फूल और फल सभी को पानी प्राप्त हो जाता है और उन्हें अलग अलग सींचने की जरूरत नहीं होती है |, 5. रहीम का पूरा नाम अब्दुल रहीम (अब्दुर्रहीम) ख़ानख़ाना था। आपका जन्म 17 दिसम्बर 1556 को लाहौर में हुआ। रहीम के पिता का नाम बैरम खान तथा माता का नाम सुल्ताना बेगम था। बैरम ख़ाँ मुगल बादशाह अकबर के संरक्षक थे। रहीम जब पैदा हुए तो बैरम ख़ाँ की आयु 60 वर्ष हो चुकी थी। कहा जाता है कि रहीम का नामकरण अकबर ने ही किया था।, रहीम मध्यकालीन सामंतवादी संस्कृति के कवि थे। रहीम का व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा-संपन्न था। वे एक ही साथ सेनापति, प्रशासक, आश्रयदाता, दानवीर, कूटनीतिज्ञ, बहुभाषाविद, कलाप्रेमी, कवि एवं विद्वान थे। रहीम सांप्रदायिक सदभाव तथा सभी संप्रदायों के प्रति समादर भाव के सत्यनिष्ठ साधक थे। वे भारतीय सामासिक संस्कृति के अनन्य आराधक थे। रहीम कलम और तलवार के धनी थे और मानव प्रेम के सूत्रधार थे।, 1. आपने देखा होगा की ये दोहे हमारे दैनिक जीवन से सम्बंधित है. Rahim ke Hindi Dohe with meaning, poet Rahim das doha was a poet of India. दुख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय। जो सुख में सुमिरन करे, तो दुख काहे होय॥, अर्थ:- दुख में सभी लोग याद करते हैं, सुख में कोई नहीं। यदि सुख में भी याद करते तो दुख होता ही नहीं।, खैर, खून, खाँसी, खुसी, बैर, प्रीति, मदपान। रहिमन दाबे न दबै, जानत सकल जहान॥, अर्थ:- दुनिया जानती है कि खैरियत, खून, खांसी, खुशी, दुश्मनी, प्रेम और मदिरा का नशा छुपाए नहीं छुपता है।, जो रहीम ओछो बढ़ै, तौ अति ही इतराय। प्यादे सों फरजी भयो, टेढ़ो टेढ़ो जाय॥, अर्थ:- ओछे लोग जब प्रगति करते हैं तो बहुत ही इतराते हैं। वैसे ही जैसे शतरंज के खेल में जब प्यादा फरजी बन जाता है तो वह टेढ़ी चाल चलने लगता है।, बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय। रहिमन बिगरे दूध को, मथे न माखन होय॥, अर्थ:- जब बात बिगड़ जाती है तो किसी के लाख कोशिश करने पर भी बनती नहीं है। उसी तरह जैसे कि दूध को मथने से मक्खन नहीं निकलता।, आब गई आदर गया, नैनन गया सनेहि। ये तीनों तब ही गये, जबहि कहा कछु देहि॥, अर्थ:- ज्यों ही कोई किसी से कुछ मांगता है त्यों ही आबरू, आदर और आंख से प्रेम चला जाता है।, खीरा सिर ते काटिये, मलियत नमक लगाय। रहिमन करुये मुखन को, चहियत इहै सजाय॥, अर्थ:- खीरे को सिर से काटना चाहिए और उस पर नमक लगाना चाहिए। यदि किसी के मुंह से कटु वाणी निकले तो उसे भी यही सजा होनी चाहिए।, चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह। जिनको कछु नहि चाहिये, वे साहन के साह॥, अर्थ:- जिन्हें कुछ नहीं चाहिए वो राजाओं के राजा हैं। क्योंकि उन्हें ना तो किसी चीज की चाह है, ना ही चिंता और मन तो बिल्कुल बेपरवाह है।, जे गरीब पर हित करैं, हे रहीम बड़ लोग। कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग॥, अर्थ:- जो गरीब का हित करते हैं वो बड़े लोग होते हैं। जैसे सुदामा कहते हैं कृष्ण की दोस्ती भी एक साधना है।, जो रहीम गति दीप की, कुल कपूत गति सोय। बारे उजियारो लगे, बढ़े अँधेरो होय॥, अर्थ:- दीपक के चरित्र जैसा ही कुपुत्र का भी चरित्र होता है। दोनों ही पहले तो उजाला करते हैं पर बढ़ने के साथ-साथ अंधेरा होता जाता है।, रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि। जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवारि॥, अर्थ:- बड़ों को देखकर छोटों को भगा नहीं देना चाहिए। क्योंकि जहां छोटे का काम होता है वहां बड़ा कुछ नहीं कर सकता। जैसे कि सुई के काम को तलवार नहीं कर सकती।, बड़े काम ओछो करै, तो न बड़ाई होय। ज्यों रहीम हनुमंत को, गिरिधर कहे न कोय॥, अर्थ:- जब ओछे ध्येय के लिए लोग बड़े काम करते हैं तो उनकी बड़ाई नहीं होती है। जब हनुमान जी ने धोलागिरी को उठाया था तो उनका नाम कारन ‘गिरिधर’ नहीं पड़ा क्योंकि उन्होंने पर्वत राज को छति पहुंचाई थी, पर जब श्री कृष्ण ने पर्वत उठाया तो उनका नाम ‘गिरिधर’ पड़ा क्योंकि उन्होंने सर्व जन की रक्षा हेतु पर्वत को उठाया था|, माली आवत देख के, कलियन करे पुकारि। फूले फूले चुनि लिये, कालि हमारी बारि॥, अर्थ:- माली को आते देखकर कलियां कहती हैं कि आज तो उसने फूल चुन लिया पर कल को हमारी भी बारी भी आएगी क्योंकि कल हम भी खिलकर फूल हो जाएंगे।, एकहि साधै सब सधै, सब साधे सब जाय। रहिमन मूलहि सींचबो, फूलहि फलहि अघाय॥, अर्थ:- एक को साधने से सब सधते हैं। सब को साधने से सभी के जाने की आशंका रहती है। वैसे ही जैसे किसी पौधे के जड़ मात्र को सींचने से फूल और फल सभी को पानी प्राप्त हो जाता है और उन्हें अलग-अलग सींचने की जरूरत नहीं होती है।, जैसी परे सो सहि रहे, कहि रहीम यह देह । धरती ही पर परत है, सीत घाम औ मेह ।।, अर्थ:- रहीमदास जी कहते हैं कि जैसे इस धरती पर सर्दी, गर्मी और बारिश होती है । यह सब पृथ्वी सहन करती है । उसी तरह मनुष्य के शरीर को भी सुख और दुख उठाना और सहना सीखना चाहिए ।. अर्थ:- रहीम कहते हैं कि बड़े को छोटा कहने से बड़े का बड़प्पन नहीं घटता, क्योंकि गिरिधर (कृष्ण) को मुरलीधर कहने से उनकी महिमा में कमी नहीं होती. Friday, 22 July 2011. But really, is this only a... Saina Nehwal is the best badminton player from India and is well known around the world for her badminton talent. कहि ‘रहीम’ संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति। बिपति-कसौटी जे कसे, सोई सांचे मीत॥ दोहा – “रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार | रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार |”, अर्थ : यदि आपका प्रिय सौ बार भी रूठे, तो भी रूठे हुए प्रिय को मनाना चाहिए,क्योंकि यदि मोतियों की माला टूट जाए तो उन मोतियों को बार बार धागे में पिरो लेना चाहिए |, 10. जैसे खजूर का पेड़ तो बहुत बड़ा होता हैं लेकिन उसका फल इतना दूर होता है की तोड़ना मुश्किल का कम है |, 30. आपु तु कहि भीतर गई, जूती खात कपाल।।, अर्थ – रहीम दास जी कहते हैं कि इंसान को सदैव बड़ा ही सोच समझ कर बोलना चाहिये। ये जीभ को बावली है, कटु शब्द कहकर मुंह के अंदर छिप जाती है। और उसका परिणाम बेचारे सर को भुगतना पड़ता है क्योंकि लोग सिर पर ही जूतियां मारते हैं।, रहिमन ओछे नरन ते, भलो बैर ना प्रीति। One of the best city to visit in Eastern Europe. दोहा – “रहिमन’ वहां न जाइये, जहां कपट को हेत | हम तो ढारत ढेकुली, सींचत अपनो खेत |”, अर्थ : ऐसी जगह कभी नहीं जाना चाहिए, जहां छल-कपट से कोई अपना मतलब निकालना चाहे। हम तो बड़ी मेहनत से पानी खींचते हैं कुएं से ढेंकुली द्वारा, और कपटी आदमी बिना मेहनत के ही अपना खेत सींच लेते हैं।, 16. पानी = चमक 3. अर्थ:- कुछ दिन रहने वाली विपदा अच्छी होती है। क्योंकि इसी दौरान यह पता चलता है कि दुनिया में कौन हमारा हित या अनहित सोचता है।eval(ez_write_tag([[468,60],'tiktoktip_com-box-4','ezslot_11',118,'0','0'])); बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर। पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर॥eval(ez_write_tag([[336,280],'tiktoktip_com-banner-1','ezslot_14',119,'0','0'])); अर्थ:- बड़े होने का यह मतलब नहीं है कि उससे किसी का भला हो। जैसे खजूर का पेड़ तो बहुत बड़ा होता है परन्तु उसका फल इतना दूर होता है कि तोड़ना मुश्किल का काम है।eval(ez_write_tag([[336,280],'tiktoktip_com-large-leaderboard-2','ezslot_19',120,'0','0'])); रहिमन निज मन की व्यथा, मन में राखो गोय। सुनि इठलैहैं लोग सब, बाटि न लैहै कोय॥eval(ez_write_tag([[336,280],'tiktoktip_com-leader-1','ezslot_21',121,'0','0'])); अर्थ:- अपने दुख को अपने मन में ही रखनी चाहिए। दूसरों को सुनाने से लोग सिर्फ उसका मजाक उड़ाते हैं परन्तु दुख को कोई बांटता नहीं है।. She is one of... For all those Messi fans,there is another thing you should be proud of. दोहा – “रहिमन ओछे नरन सो, बैर भली न प्रीत | काटे चाटे स्वान के, दोउ भांति विपरीत |”, (Singer : Mahendra Kapoor & Anupama Deshpande), तो दोस्तों यह थे अकबर के नव रत्नों में से एक महान रत्न रहीम के दोहे (Rahim ke Dohe) ।, यह रहीम के दोहे हमने कक्षा 6, कक्षा 7, कक्षा 8, कक्षा 9 और कक्षा 10 वीं से अध्ययन करके हमारी सरल भाषा में आपके लिए प्रस्तुत किये है । हमें आशा है की यह दोहे आपको बेहद पसंद आये होंगे और यह दोहे आपके जीवन में प्रेरणादायक और लाभकारी साबित होंगे ।, रहीमदास के दोहे – Rahim Ke Dohe हम सभी को सदियों से प्रेरित करते आये हे, लेकिन ये कुछ किताबों तक ही सीमित है… हमने यहा कुछ चुनिन्दा रहीम के दोहे हिंदी अर्थ सहित – Rahim Ke Dohe With Meaning आपके लिए पब्लिश किये है… जो बहुत अच्छी सिख देते हे… जरुर पढ़े और अपने दोस्तों को Share करे…. actually maine dhyan nhi rakha tha isliye ho gya.. so, kya me usse wapis renewal kara skta hu? Priya Sachan is the founder and Chief editor of Shishuworld. सदा रहे नहिं एक सी, का रहीम पछितात. बांटन वारे को लगे, ज्यों मेंहदी को रंग. इसे झटका देकर तोड़ना उचित नही होता| यदि यह प्रेम का धागा एक बार टूट जाता है, तो फिर इसे मिलाना कठिन होता है और यदि मिल भी जाए तो टूटे हुए धागों के बीच में गाँठ पड़ जाती है|, 2. दोहा – “मन मोटी अरु दूध रस, इनकी सहज सुभाय | फट जाये तो न मिले, कोटिन करो उपाय |”, अर्थ : मन, मोती, फूल, दूध और रस जब तक सहज और सामान्य रहते हैं तो अच्छे लगते हैं लेकिन अगर एक बार वो फट जाएं तो कितने भी उपाय कर लो वो फिर से सहज और सामान्य रूप में नहीं आते |, 33. अर्थ- एक ही जल केले, सीप और सांप के मुख में जाता है. To this day, Amazon has been the largest marketplace in the world. वह उस धूल को ढूंढता है जिसके स्पर्श से मुनिपत्नी अहिल्या का उद्धार हो गया।, नात नेह दूरी भली, लो रहीम जिय जानि।निकट निरादर होत है, ज्‍यों गड़ही को पानि॥29।।, अर्थ- दूर की रिश्तेदारी में ही प्रेम रहता है। पास में निरादर ही होता है। जैसे पास के तालाब को छोड़ कर लोग दूर नदी में नहाने जाते हैं।, पावस देखि रहीम मन, कोइल साधे मौन।अब दादुर बक्‍ता भए, हमको पूछत कौन॥30॥. (vitag.Init = window.vitag.Init || []).push(function(){viAPItag.display("vi_871930111")}), Hindi blog for Grammar, stories, Motivational Quotes and General knowledge for students. His couplets or dohe are very famous. अपनी राय कमेन्ट करके जरूर बताएं।, Your email address will not be published. Raheem Ke Dohe Jehi Rahim Man Aapno Kinho Charu Chakor | Nisi-Basar Lagyo Rahe, Krishnachandra Ki Ore || The chakor bird always takes delight in looking at the moon, disregarding everything else. वैसे ही जैसे शतरंज के खेल में ज्यादा फ़र्जी बन जाता हैं तो वह टेढ़ी चाल चलने लता हैं |, 24. रहीम कह रहे हैं की मनुष्य में हमेशा विनम्रता होनी चाहिये | पानी का दूसरा अर्थ आभा, तेज या चमक से है जिसके बिना मोटी का कोई मूल्य नहीं | पानी का तीसरा अर्थ जल से है जिसे आटे से जोड़कर दर्शाया गया हैं. Do not copy, modify or rewrite our content in any manner. सुख में कोई नहीं करता, अगर सुख में भी याद करते तो दुःख होता ही नही |, 22. दोहा – “रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सुन | पानी गये न ऊबरे, मोटी मानुष चुन |”, अर्थ : इस दोहे में रहीम ने पानी को तीन अर्थों में प्रयोग किया है, पानी का पहला अर्थ मनुष्य के संदर्भ में है जब इसका मतलब विनम्रता से है. जहरीले सांप चन्दन के वृक्ष से लिपटे रहने पर भी उस पर कोई जहरीला प्रभाव नहीं डाल पाते. रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिए डारि. Skip to content. सदा किसी की अवस्था एक जैसी नहीं रहती, इसलिए दुःख के समय पछताना व्यर्थ है. अर्थ:- रहीम कहते हैं की अपने मन के दुःख को मन के भीतर छिपा कर ही रखना चाहिए। दूसरे का दुःख सुनकर लोग इठला भले ही लें, उसे बाँट कर कम करने वाला कोई नहीं होता. Through the ingenuity of its engineering, Honda has designed... Rahime Das के Dohe चाय में शक्कर जैसे है, जैसे चाय में शक्कर थोड़ी ही होती है लेकिन मिठास बहुत ज्यादा । ठीक वैसे ही रहीम के दोहे में शब्दों की मात्रा बहुत ही कम है लेकिन इसका मर्म, महत्व और जीवन का सार अनंत है ।, रहीम दास के १५ लोकप्रिय दोहे हिंदी अर्थ सहित, रहीम के दोहे अर्थ सहित ll Rahim ke Dohe YouTube, Sant Vani – Rahim Vani (Dohe) : Hindi Devotional Song. दोहा – “जे गरिब पर हित करैं, हे रहीम बड | कहा सुदामा बापुरो, कृष्ण मिताई जोग |”, अर्थ : जो लोग गरिब का हित करते हैं वो बड़े लोग होते हैं. रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय. दोहा – “मथत-मथत माखन रहे, दही मही बिलगाय | ‘रहिमन’ सोई मीत है, भीर परे ठहराय |”, अर्थ : सच्चा मित्र वही है, जो विपदा में साथ देता है। वह किस काम का मित्र, जो विपत्ति के समय अलग हो जाता है? दोहा – “समय पाय फल होत है, समय पाय झरी जात | सदा रहे नहिं एक सी, का रहीम पछितात |”, अर्थ : रहीम कहते हैं कि उपयुक्त समय आने पर वृक्ष में फल लगता है। झड़ने का समय आने पर वह झड़ जाता है. जो अपने वास्तविक कर्म से भी विमुख हो।, वही घने वृक्ष जहां पक्षियों का बसेरा होते हैं , वही राहगीर भी उसकी छांव में बैठकर उस वृक्ष की तारीफ करता है और धन्यवाद देता है। इसी प्रकार हर एक व्यक्ति को होना चाहिए , जिसका सानिध्य पाकर कोई भी मनुष्य उस से आकर्षित हो उसके कर्मों से प्रभावित हो।, खीरा सिर ते काटि के, मलियत लौंन लगाय रहिमन करुए मुखन को, चाहिए यही सजाय। ।, जिस प्रकार खीरे के कड़वापन / तीखेपन को दूर करने के लिए उसका सिर काट कर उसको रगड़ा जाता है जिसके कारण उसका तीखापन दूर हो पाता है ,उसके विकार दूर हो जाते है । ठीक उसी प्रकार जो व्यक्ति गलत आचरण वाले या कड़वे स्वभाव या प्रवृत्ति के होते हैं उनके साथ भी इसी प्रकार का आचरण किया जाना चाहिए। इस प्रकार की सजा से ही उसके गलत आचरण को दूर किया जा सकता है।, दोनों रहिमन एक से, जों लों बोलत नाहिं जान परत हैं काक पिक, रितु बसंत के माहिं। ।, कौवा और कोयल देखने में एक से प्रतीत होते हैं कोयल अपना बच्चा जान कौवे को पालती है किंतु उसके बोलने से ही आभास होता है कि वह भ्रम वश गोवा पाल रही है ठीक उसी प्रकार सज्जन और दुर्जन व्यक्ति का फर्क उसके बोलने से प्रतीत होता है सज्जन व्यक्ति सदैव मृदु वाणी बोलते हैं वही दुर्जन व्यक्ति करकस शब्दों का प्रयोग करते हैं और लोगों को पीड़ा पहुंचाते हैं दोनों का भेद कर पाना वाणी के अलावा कठिन कार्य है।, जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करी सकत कुसंग चन्दन विष व्यापे नहीं, लिपटे रहत भुजंग। ।, जो व्यक्ति उत्तम प्रवृत्ति , अच्छे स्वभाव और आचरण का होता है , वह कितने भी दुराचारी व्यक्तियों तथा दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों के बीच रहे उस सज्जन व्यक्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार चंदन के वृक्ष पर हजारों विषैले सर्प लिपटे होते हैं , किंतु उसके सुगंध और उसकी शीतलता पर कभी कोई आंच नहीं आती। वह सदैव पूजनीय होता है , इसलिए लोग अपने मस्तक पर लेप लगाते हैं।, रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार। ।, कोई सज्जन व्यक्ति आपसे रूठे तो उसे मनाना चाहिए , अगर वह सौ बार भी रूठे तो आपको सौ बार भी उस सज्जन को मनाना चाहिए। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार महंगे हार को बार – बार टूटने पर उसे धागे में पिरोया जाता है , ना कि उसे फेंका जाता है।, सज्जन व्यक्ति भी महंगे आभूषणों की तरह है , जो हमारे समाज और आपके लिए आभूषण है , ऐसे सज्जन व्यक्ति को कभी भी निराश नहीं करना चाहिए। ऐसा सज्जन व्यक्ति दुर्लभ होता है , वह आपका सच्चा हितेषी होता है।, रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय। ।, प्रेम रूपी धागे को कभी तोड़ना नहीं चाहिए , क्योंकि प्रेम ही एक अनमोल वस्तु है जो बाजार में बिकती नहीं है। यह जीवन भर की संचित संपत्ति होती है। ऐसे प्रेम रूपी धागे को तोड़ने से कोई लाभ नहीं होगा , क्योंकि उसको फिर जोड़ पाना बेहद मुश्किल और कठिन कार्य है। क्योंकि यह प्रेम अगर अविश्वास में तब्दील होता है , तो यह धागे में गांठ पड़ने के समान है , जो कभी भी ठीक नहीं किया जा सकता।, रहिमन रीति सराहिए, जो घट गुन सम होय भीति आप पै डारि के, सबै पियावै तोय। ।, सदैव उस व्यवहार के व्यक्ति की सराहना की जाए जो , व्यक्ति स्वयं को किसी दूसरों के लिए कष्ट पहुंचाता है। जिस प्रकार घड़ा और रस्सी अपने प्राण संकट में डाल कर कुएं से पानी निकालते हैं , और दूसरों की प्यास बुझाते हैं। इस प्रकार के प्रवृत्ति के लोगों की सराहना की जानी चाहिए , और उन्हें समाज में सम्मान दिया जाना चाहिए ऐसा गुणकारी व्यक्ति दुर्लभ ही कहीं मिलता है।, तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान। कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान। ।, वृक्ष कभी अपने फल नहीं खाते और ना ही सरोवर स्वयं अपना पानी पीता है। इनकी प्रवृत्ति सदैव उपकार की रहती है। यह पारोपकार के लिए अपना जीवन जीते हैं। ठीक उसी प्रकार समाज में ऐसे व्यक्ति , संत की भांति हैं जो स्वयं की संपत्ति दूसरों की भलाई , समाज के कल्याण के लिए संचित करते हैं।, रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि  जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवार। ।, किसी बड़े को देखकर छोटे की अवहेलना नहीं की जानी चाहिए , किसी अमीर व्यक्ति को देखकर गरीब व्यक्तियों के हितों को नहीं दबाना चाहिए , ना ही उनका मजाक बनाना चाहिए। क्योंकि छोटे का भी अपना महत्व है , युद्ध में जहां तलवार के मायने हैं , वही कुछ कार्यों में छोटे लोगों के भी मायने हैं।, जिस प्रकार घर में कपड़ा सिलने के लिए सुई का काम लिया जाता है , यहां किसी तलवार से कपड़े को नहीं सिला जाता। ठीक उसी प्रकार किसी भी अवसर पर कोई भी बलवान साबित हो सकता है। इसलिए छोटे से छोटे लोगों वस्तु आदि की अवहेलना भी नहीं की जानी चाहिए।, वृक्ष कबहूँ नहीं फल भखैं, नदी न संचै नीर परमारथ के कारने, साधुन धरा सरीर। ।, जिस प्रकार वृक्ष अपने फल नहीं खाता , नदी अपना जल स्वयं नहीं पीता , ठीक उसी प्रकार साधु व्यक्ति भी स्वयं के लिए जन्म नहीं लेता।  बल्कि वह समाज के लिए जन्म लेता है उसका पूरा जीवन समाज के लिए समर्पित होता है।, लोहे की न लोहार की, रहिमन कही विचार जा जेहि मारे सीस पै, ताही की तलवार। ।, तलवार ना लोहे की कही जाती है , ना लोहार की। तलवार का धर्म है युद्ध में शत्रुओं का दमन करना , उनके कर्मों को दंड देना। इसलिए तलवार उसी की कही जाती है , जो युद्ध भूमि में शत्रुओं के शीश को धड़ से अलग करे।, रहिमन ओछे नरन सो, बैर भली न प्रीत काटे चाटे स्वान के, दोउ भाँती विपरीत। ।, ऐसे व्यक्ति जो छोटी सोच के होते हैं , उनसे ना ही मित्रता अच्छी होती है ना ही शत्रुता। ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार किसी व्यक्ति को कुत्ते द्वारा चाटना या काटना इससे व्यक्ति को सदैव सतर्क रहना चाहिए।, बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय। रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय। ।, बिगड़ी हुई बात कभी नहीं बनती , चाहे उसके लिए कितने ही जतन करें। यह ठीक उसी प्रकार है जिस प्रकार दूध के फटने पर उससे मक्खन प्राप्त नहीं होता। इसलिए व्यक्ति को स्वभाव से नम्र होना चाहिए और किसी भी बात को बिगड़ने देना नहीं चाहिए।, अब रहीम मुसकिल परी गाढे दोउ काम सांचे से तो जग नहीं झूठे मिलै न राम। ।, रहीम वर्तमान समय की व्यवस्था पर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं , किस प्रकार आज सच और झूठ एक साथ व्यक्ति में विद्यमान है। क्योंकि लोगों की विवषता है इस जगत में किसी भी कार्य की पूर्ति के लिए झूठ का सहारा लेना पड़ता है। किंतु यह भी सच है झूठ से कभी राम अथवा ईश्वर की प्राप्ति झूठ से नहीं होती।, रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय सुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहैं कोय। ।, व्यक्ति को अपने मन की व्यथा अपने दुख और कष्ट को अपने भीतर ही छिपा कर रखना चाहिए। किसी के समक्ष प्रस्तुत करने से कोई आपका कष्ट बांटता नहीं , अपितु वह आपको कष्ट में देखकर मुस्कुराते हैं और खुश होते हैं। इसलिए रहीम दास जी का मानना है व्यक्ति अपने दुख को स्वयं ही दूर कर सकता है , इसके लिए किसी और की आवश्यकता नहीं है।, वे रहीम नर धन्य हैं, पर उपकारी अंग बाँटन वारे को लगे, ज्यो मेहंदी को रंग। ।, जिस प्रकार मेहंदी के पत्ते अपना सर्वस्व न्योछावर करके किसी के खुशियों का हिस्सा बनते हैं। ठीक उसी प्रकार वह मनुष्य धन्य है जो अपना जीवन परोपकार के भावना से जीते हैं। किसी के दुख को अपना दुख जानकर उसका निवारण करते हैं , ऐसे मनुष्य सदैव पूजनीय हैं।, रहिमन विपदा ही भली, जो थोरे दिन होय हित अनहित या जगत में, जानि परत सब कोय। ।, समाज में आपका हितेषी बताने वाले अनेकों लोग मिलते हैं। जो भी कोई व्यक्ति आपका सबसे बड़ा हितेषी बताता है , वह संकट के क्षणों में ही परखा जाता है। संकट , विपत्ति के दिनों में भले लोगों की परख होती है।  जिस प्रकार सुख – दुख , जीवन – मरण प्रकृति का नियम है। यह घटना सभी के साथ घटती है , ऐसे क्षणों में ही अपने और पराए में भेद कर पाना आसान हो जाता है।, समय पाय फल होत है समय पाय झरि जात सदा रहै नहि एक सी का रहीम पछितात। ।, सुख-दुख , हर्ष – विषाद यह सब जीवन के चक्र हैं। समय सदैव परिवर्तनशील होता है , कोई एक समय टिक्कर नहीं रहता। ठीक उसी प्रकार जैसे एक वृक्ष पर कभी फल होते हैं , कभी नहीं होते हैं , कभी पत्तियां होती है कभी झड़ कर गिर जाती है। इसलिए व्यक्ति को दुख के क्षणों में घबराना नहीं चाहिए बल्कि आने वाले सुख के क्षणों के लिए तैयार रहना चाहिए।, रहिमन कुटिल कुठार ज्यों करि डारत द्वै टूक चतुरन को कसकत रहे समय चूक की हूक। ।, कटु वचन कुल्हाड़ी की भांति होते हैं।  जिस प्रकार कुल्हाड़ी लकड़ी को दो भाग में बांट देता है , ठीक उसी प्रकार कड़वे वचन व्यक्ति को आपसे दूर कर देता है। समझदार व्यक्ति संकट में भी कड़वे वचन नहीं बोलता , वह चुप रह जाता है और सभी जवाब समय पर छोड़ देता है।, जेहि अंचल दीपक दुरयो हन्यो सो ताही गात रहिमन असमय के परे मित्र शत्रु ह्वै जात। ।, जो महिला अपने आँचल से ढककर हवा के तेज झोंके से दीपक के लौ को बुझने से रक्षा करती है। वही रात्रि में सोते समय उसी आंचल से लौ को बुझा देती है। ठीक इसी प्रकार बुरे समय में मित्र भी शत्रु हो जाता है।, समय लाभ सम लाभ नहि समय चूक सम चूक चतुरन चित रहिमन लगी समय चूक की हूक। ।, समय पर जो लाभ मिलता है , उसके जैसा लाभ कभी और नहीं मिल सकता।, जो व्यक्ति समय से चूक जाता है वह फिर दोबारा प्राप्त नहीं कर सकता।, इस अवसर को चुक कर चतुर व्यक्ति भी पछता आता है।, इसलिए व्यक्ति को समय का लाभ अवश्य उठाना चाहिए , अन्यथा वह पछताता है।, ओछे को सतसंग रहिमन तजहु अंगार ज्यों तातो जारै अंग सीरै पै कारौ लगै। ।, छोटी सोच वाले व्यक्तियों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। यह ठीक उस प्रकार होते हैं जैसे एक अंगारा जीवन भर जलता रहता है , और ठंडा होने पर वह कोयले के समान कठोर काला हो जाता है।, जैसी परे सो सहि रहे, कहि रहीम यह देह धरती ही पर परत है, सीत घाम औ मेह। ।, जिस व्यक्ति के शरीर पर जो पड़ती है , वह उसे झेलता है। कोई अगर विपत्ति में घिर जाता है तो वह स्वयं ही उसे निकलता है , कोई उसे सहारा देने वाला नहीं होता। इसलिए व्यक्ति को स्वयं से मजबूत रहना चाहिए , क्योंकि जिस प्रकार इस धरती पर सर्दी – गर्मी , वर्षा – बसंत है ठीक उसी प्रकार सुख और दुख भी हैं।, विरह रूप धन तम भये अवधि आस ईधोत ज्यों रहीम भादों निसा चमकि जात खद्योत। ।, रात का घना अंधकार वियोग को और अधिक तीव्र कर देता है , अर्थात मन की पीड़ा को और बढ़ा देता है। किंतु भादो मास के अंधकार में ऐसा नहीं होता क्योंकि भादो मास में जुगनू अंधकार में भी आशा का संचार करते हैं।  वह संकेत करते हैं कितने भी दुख और पीड़ा हो उजाले अर्थात सफलता के लिए तत्पर रहना चाहिए।, आदर घटे नरेस ढिग बसे रहे कछु नाॅहि जो रहीम कोरिन मिले धिक जीवन जग माॅहि। ।, व्यक्ति को जहां मान – सम्मान और आदर ना मिले वैसे स्थान पर कभी नहीं रहना चाहिए।, अगर राजा भी आपका आदर सम्मान ना करें तो उसके पास अधिक समय तक नहीं रहना चाहिए।, अगर आपको करोड़ों रुपए भी मिले किंतु वहां आदर ना मिले , ऐसे करोड़ों रुपए भी धिक्कार होना चाहिए।, पुरूस पूजै देबरा तिय पूजै रघुनाथ कहि रहीम दोउन बने पड़ो बैल के साथ। ।, पति भूत – पिसाच और जंतर – मंतर की पूजा करता है , वही पत्नी राम अर्थात रघुनाथ की पूजा करती है।, जब तक इन दोनों में मेल नहीं होगा , तब तक गृहस्थ की गाड़ी ठीक प्रकार से नहीं चल पाएगी।, अतः दोनों के संतुलित विचार और व्यवहार के कारण ही गृहस्थ रूपी गाड़ी साथ चल सकती है।, धन दारा अरू सुतन सों लग्यों है नित चित्त नहि रहीम कोउ लरवयो गाढे दिन को मित्त। ।, सदैव अपना चित , धन , संतान और पौरुष पर नहीं लगा कर रखना चाहिए , क्योंकि यह सब विपत्ति के समय या आवश्यकता के समय काम नहीं आते। इसलिए अपने चित को सदा ईश्वर मे लगाना चाहिए जो विपत्ति के समय भी काम आते हैं।, विपति भये धन ना रहै रहै जो लाख करोर नभ तारे छिपि जात हैं ज्यों रहीम ये भोर। ।, जिस प्रकार रात्रि में लाखों-करोड़ों तारे आसमान पर जगमगाते रहते हैं , वही सवेरा होते ही सभी लुप्त हो जाते हैं , आसमान में एक भी तारा नजर नहीं आता। ठीक उसी प्रकार कोई व्यक्ति कितना भी धनवान हो उसके पास करोड़ों की संपत्ति हो , किंतु विपत्ति के समय में उसकी वह संपत्ति काम नहीं आती वह भी लुप्त हो जाती है।, मांगे मुकरि न को गयो केहि न त्यागियो साथ मांगत आगे सुख लहयो ते रहीम रघुनाथ। ।, वर्तमान समय में किसी आवश्यकता के कारण आप कुछ भी किसी दूसरे के समक्ष मांगते हैं तो वह सदैव मुकर जाता है।, कोई भी आपको आपके आवश्यकता की वस्तु उपलब्ध नहीं कराता , अपितु वह आपसे दूरी भी बना लेता है।, किंतु केवल ईश्वर ही है जो मांगने पर प्रसन्न होते हैं और आपसे निकटता भी स्थापित कर लेते हैं।, साधु सराहै साधुता, जाती जोखिता जान रहिमन सांचे सूर को बैरी कराइ बखान। ।, साधु , सज्जन व्यक्ति की सराहना करता है , उसके गुणों को उद्घाटित करता है। एक योगी योग की बड़ाई करता है। किंतु जो सच्चे वीर होते हैं उनकी प्रशंसा तो उनके शत्रु भी करते हैं।, Prem kahani in hindi – प्रेम कहानिया हिंदी में, Love stories in hindi प्रेम की पहली निशानी, 3 Best Story In Hindi For kids With Moral Values, 7 Hindi short stories with moral for kids, Hindi 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